Thursday, December 26, 2024
उत्तर प्रदेश

उत्तरकाशी सुरंग: महज 2 घंटे बाद बदल गया जिंदगी का रुख, यूपी के मंजीत ने सुनाई आपबीती

दर्द और दहशत में 17 दिन तक टनल में फंसे रहे मजदूर मंजीत ने आपबीती सुनाई। उसने बताया कि 12 नवंबर की रात को वह टनल में काम कर रहे थे, दो घंटे बाद वहां से वह छुट्टी पर निकलने वाले थे। इससे पहले ही हादसा हो गया।

उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में दहशत और दर्द के 17 दिन गुजारने के बाद शुक्रवार को अपनी आप बीती साझा करते हुए मंजीत ने बताया कि 12 नवंबर का वो दिन कभी नहीं भूलेगा, जब महज दो घंटे के बाद टनल में हुए हादसे ने उनकी जिंदगी का रुख बदल दिया।

आप बीती बताते हुए मंजीत ने कहा कि 12 नवंबर की रात को वह टनल में काम कर रहे थे, दो घंटे बाद वहां से वह छुट्टी पर निकलने वाले थे। वह इस खुशी में थे कि दो घंटे बाद टनल से बाहर निकलकर अपने गांव भैरमपुर के लिए रवाना हो सकें, जिससे दिवाली न सही कम से कम अपनी दो बहनों की इच्छाओं की लाज रखते हुए वह भाईदूज के मौके पर अपने घर पहुंच जाएंगे।

लेकिन, कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। काम के सिर्फ दो घंटे बचे थे कि इसी बीच सुबह के 5.30 बजे तेज धमाका हुआ। ऐसा लगा कि कोई बड़ी चीज गिरी है। हम लोग 600 मीटर पर काम कर रहे थे, जबकि 300 मीटर पर मलबा गिरा था।

वहां से दौड़ते हुए मौके पर पहुंचे तो ऐसा मलबा था कि वहां पर दूसरी ओर कुछ भी नहीं दिख रहा था। इसके अलावा एक दिन बाद तक दस से बीस मीटर तक मलबा और गिरा। वहां से बाहर निकलने तक की जगह नहीं बची थी।

36 घंटे तक किया इंतजार, टनल से बाहर निकले चार इंच के पाइप ने बचाई जान
मंजीत ने बताया कि इस दौरान हम सभी 41 साथियों का बहुत ही बुरा हाल हो गया था, क्योंकि हमें ये डर था कि पता नहीं हमे कोई सुन रहा है कि नहीं। बताया कि 36 घंटे तक हम सभी लोगों ने इंतजार किया कि कोई बाहर से हमारी आवाज सुने। बताया कि वहां पर चार इंच का पाइप था, जिससे टनल का गंदा पानी बाहर निकल रहा था।

हम लोगों ने उसको खोला फिर यहां से चिल्लाए। इसके बाद 36 घंटे बाद हम लोगों को किसी ने सुना, जिससे जान में जान आई कि किसी ने हम लोगों को सुना है। इससे हिम्मत मिली, धीरे-धीरे रेस्क्यू काम शुरू हुआ। उसी चार इंच के पाइप से खाने पीने का सामान आता था। बताया कि धीरे-धीरे आठ-नौ दिन तक वहां रेस्क्यू का काम चलता रहा।

इसके बाद ऊपर से छह इंच का पाइप आया, जिसके जरिये खाना, कपड़े समेत फल आदि आने लगे। धीरे-धीरे बाहर से हिम्मत भी मिलने लगी कि जल्दी निकल जाओगे। इस बीच घर वालों से माइक्रोफोन के जरिए बातचीत भी होने लगी थी। तो हम लोगों को इससे बहुत हिम्ममत मिलती थी। अंदर सभी 41 लोग परिवार की तरह रहते थे।

सबसे पहले रेस्क्यू अफसर से हुई बात, तीसरे नंबर पर निकाला गया

मंजीत ने बातचीत करते हुए बताया कि सबसे पहले रेस्क्यू अफसर से पाइप के जरिये बातचीत हुई थी, उन्होंने नाम पूछा हमने नाम बताया और बताया कि 41 लोग फंसे हैं। सभी ठीक हैं। मंजीत ने बताया कि जब उन सभी 41 मजदूरों को टनल से निकाला जा रहा था तो उनको तीसरे नंबर पर निकाला गया था। बताया कि हमसे पहले दो लोग निकाले जा चुके थे, तीसरे नंबर पर हम थे।

मंजीत ने अपने घर पहुंचने पर कहा कि उनके लिये यह बहुत खूबसूरत पल है, वरना उनकी कहां किस्मत थी कि हम साहब से मिले। नहीं तो हम तो सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि सीएम योगी से मिलेंगे, सीडीओ और एसपी से मिलेंगे।

नया जीवन मिला है… पर रोजी रोटी कमानी पड़ेगी

मंजीत ने भावुक होते हुए बताया कि हमको नया जीवन मिला है। वहीं,जिंदगी के खतरनाक मोड़ से सकुशल बचकर निकलने पर अपने काम के बारे में मंजीत ने बताया कि हम अभी यह तय नहीं कर सकते कि हम क्या काम करेंगे। गरीब आदमी हैं, जो काम मिलेगा, हम करेंगे। हमारी दो दो बहने हैं, मां पिता और भाभी हैं। हम कमाएंगे नहीं तो क्या करेंगे। हालांकि, मंजीत ने यह खुलासा नहीं किया कि मदद के तौर पर मिलने वाले तीन लाख रुपयों से वह कौन से काम की शुरुआत करेंगे।

मंजीत की घर वापसी से गदगद रहे पिता चौधरी, सीएम से भी रखी मांग

कर्ज पर नौ हजार रुपये लेकर बेटे की सकुलश वापसी का सपना लेकर उत्तरकाशी पहुंचे मंजीत के पिता चौधरी सबसे ज्यादा खुश दिखाई दिए। कलेक्ट्रेट में अफसरों के सम्मान के बाद पिता चौधरी ने बताया कि हमको विश्वास था कि जरूर बाहर निकलेंगे। जब मंजीत से बात करते थे तो यही कहते थे कि हिम्मत रखना और औरों को भी हिम्मत देना, जल्दी ही बाहर निकल आओगे।

इस दौरान बातचीत में उन्होने बताया कि सीएम योगी से घर की आर्थिक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि सीएम से कहा कि हमको न्याय दें। हालांकि, कर्ज के बचे रुपयोंके बारे में कहा कि हजार दो हजार अभी बचे हुए हैं। इससे पहले सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पिता चौधरी ने बताया था कि उनके पास नौ हजार रुपयों में से 290 रुपये ही बचे हैं।