उत्तराखंड: प्रसिद्ध द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद
देहरादून: उत्तराखंड में हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित भगवान शिव के पंच केदारों में प्रसिद्ध द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल हेतु बुद्धवार, कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, पूर्व भाद्रपदा नक्षत्र, कुंभ राशि में प्रात: साढ़े आठ बजे विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद बंद हो गए। सात सौ से अधिक तीर्थयात्री एवं स्थानीय श्रद्धालु इस अवसर के साक्षी बने। मंदिर को दानीदाता के सहयोग से पांच क्विंटल फूलों से सजाया गया था।
इससे पूर्व, कपाट बंद की तैयारियों के बीच प्रात: चार बजे मंदिर खुलने पर भगवान मद्महेश्वर जी की जलाभिषेक पूजा हुई। साढ़े सात बजे तक श्रद्धालु दर्शन करते रहे। उसके पश्चात पुजारी बागेश लिंग ने कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की। पहले भगवान शिव एवं भैरव नाथ की पूजा-अर्चना हुई। भगवान मदमहेश्वर के स्यंभू शिवलिंग को समाधि रूप देते हुए, स्थानीय फूलों-शुष्क पुष्पों और राख से ढ़क दिया। इसके बाद श्री मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली के सभामंडप से बाहर आते ही साढे़ आठ बजे मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए।
तत्पश्चात, भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली ने भगवान मद्महेश्वर जी के मंदिर भंडार, पूजा तथा भोग के तांबे व पीतल धातु निर्मित पुरातन बर्तनों का निरीक्षण किया। कपाट बंद होने के बाद मंदिर की परिक्रमा करते हुए डोली प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान हुई। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, डोली प्रभारी पारेश्वर त्रिवेदी, मृत्युंजय हीरेमठ, सूरज नेगी, दिनेश, बृजमोहन, संदीप नेगी, बृजमोहन कुर्मांचली तथा गौंडार गांव के हक हकूक धारी, पुलिस प्रशासन प्रतिनिधि सहित वन विभाग के कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।
दूसरी ओर, मंदिर के कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने जानकारी दी है कि इस यात्रा वर्ष में 12,777 (बारह हजार सात सौ सत्तहत्तर) श्रद्धालु भगवान मद्महेश्वर के दर्शन को पहुंचे है। जबकि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने बताया कि श्री मद्महेश्वर भगवान की चल विग्रह डोली का 25 नवंबर को श्रीओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ पहुंचने पर मंदिर समिति तथा स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत किया जाएगा।