राष्ट्र मतदान और लोकतंत्र पर अन्तर विश्वविद्यालयी भाषण प्रतियोगिता कार्यक्रम में विजेता छात्र छात्राओं को सम्मानित किया राज्यपाल ने
राजभवन देहरादून :राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) की पहल पर राजभवन में बुधवार को ’’राष्ट्र, मतदान और लोकतंत्र’’ थीम पर अन्तर-विश्वविद्यालयी भाषण प्रतियोगिता आयोजित किया गया। राज्य विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) के समक्ष मतदान तथा लोकतंत्र पर अपने विचार व्यक्त किए। छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि जागरूक युवा शक्ति के बल पर इस महान देश के लोकतंत्र को और अधिक मजबूती मिलेगी। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मतदान से बड़ी कोई ताकत नही हो सकती है। लोकतंत्र में मतदाता ही सरकार का भाग्य विधाता है। मतदान कर्तव्य और अधिकार दोनों ही है।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि नागरिक होने के नाते हम सब भारतीयों को ज्ञान होना चाहिए कि हमारे देश प्रति क्या कर्तव्य है। सभी भारतीयों को मूल कर्तव्यों को पढ़ना, समझना और उनका पूरी श्रद्धा के साथ पालन करना चाहिए। विशेषकर युवाओं से इस दिशा में बड़ी उम्मीदे हैं। हमें वर्ष में एक दिन मौलिक कर्तव्य दिवस के रूप में मनाना चाहिए।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि इस निर्वाचन में पहली बार मतदान करने जा रहे 1.58 लाख 18 से 19 वर्ष की आयु वाले युवा मतदाताओं को मैं विशेष बधाई देना चाहूँगा। मतदाता जाति, धर्म, धन, बल या अन्य किसी दवाब में आए बिना राज्य हित में मतदान करें और लोकतंत्र को मजबूत बनाएं।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि राज्य में पिछले विधानसभा में मतदान का प्रतिशत 66 प्रतिशत रहा। इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने में राज्य के सभी 81 लाख से अधिक मतदाताओं को मतदान करने का दृढ़ निश्चय करना है। हमें सौ फीसदी मतदान के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना हैं। हमें देश के अन्य राज्यों और दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों के लिए एक मिसाल पेश करनी है।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि लोकतंत्र के इस महायज्ञ में समाज के हर तबके की भागीदारी बेहद जरूरी है। एक-एक मत अमूल्य है। इस बार हमारे 68478 दिव्यांग जन भी लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपने मतदान का प्रयोग करेंगे। निर्वाचन आयोग द्वारा सभी प्रकार के मतदाताओं की सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। 80 वर्ष से अधिक आयु के बजुर्गां, कोविड के मरीजों, दिव्यांगो आदि के लिए पोस्टल बैलेट की व्यवस्था की गई है। इसका उद्देश्य है कि कोई भी मत न छूटे। राज्य में कुल 11647 पोलिंग बूथों के माध्यम से मतदान प्रक्रिया सम्पन्न होगी। इस बार पोलिंग बूथों की संख्या भी बढ़ी है। मातृ शक्ति के राज्य उत्तराखण्ड में महिलाओं की सभी क्षेत्रों की तरह लोकतंत्र की मजबूती में भी महत्वपूर्ण भूमिका है। उत्तराखण्ड का इलेक्टर जेण्डर रेशियो 928 है। राज्य की लगभग 40 लाख महिला मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी से लोकतंत्र का यह महाअभियान सफल होगा।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने निवार्चन डयूटी में लगे सभी अधिकारियों, कार्मिकों, स्टाफ की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि निर्वाचन में लगे कार्मिक पूरी ईमानदारी, निष्ठा, समर्पण और श्रद्धा से अपनी जिम्मेदारियां पूरा कर रहे हैं। राज्य के दूरदराज क्षेत्रों, दुर्गम पहाड़ी इलाकों में जिस प्रकार से निवार्चन डयूटी में लगें कार्मिक समर्पण और त्याग से लोकतंत्र के इस पर्व को सफल बनाने में लगे है, हम सभी उनके आभारी हैं।
भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहे हेमवन्तीनन्दन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के एमबीबीएस के छात्र आकाश उनियाल ने अपने भाषण में कहा कि जिस प्रकार मानव शरीर का हर अंग, तंत्र और कोशिका जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। लोकतंत्र में हर मत अनमोल है। प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर रही दून विश्वविद्यालय की छात्रा तनीशा रावत ने कहा कि मतदान ही लोकतंत्र की ताकत है। जागरूक मतदाता ही देश का भाग्य विधाता है। सभी को मतदान अवश्य करना चाहिए। तृतीय स्थान पर रहे कुमाऊँ विश्वविद्यालय के छात्र करनजीत सिंह ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए सभी मतदाताओं को मतदान अवश्य करना चाहिए। चतुर्थ स्थान पर रहे उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र पंकज गोदियाल ने कहा कि युवा शक्ति भारत का संविधान जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र और धन, बल का भेदभाव किए बिना हर भारतीय को मतदान की यह पवित्र उत्तरदायित्व देता है।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने प्रतियोगिता के विजेता छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।
इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव डा0 रंजीत कुमार सिन्हा, विधि परामर्शी अमित कुमार सिरोही, अपर सचिव स्वाति एस भदौरिया, एडीसी रचिता जुयाल तथा राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।