Friday, December 27, 2024
राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को झटका, राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर संविधान पीठ करेगी सुनवाई

152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत से केंद्र को झटका लगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने बड़ी पीठ को मामला सौंपने का फैसला टालने के केंद्र की मांग ठुकरा दी है।

राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता 124A के तहत राजद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कम से कम पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस आधार पर बड़ी पीठ को मामला सौंपने का फैसला टालने के केंद्र की मांग ठुकरा दी कि संसद दंड संहिता के प्रावधानों को फिर से लागू कर रही है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी इस पीठ में शामिल थे।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्टर्ड ऑपिस को चीफ जस्टिस के समक्ष कागजात पेश करने का निर्देश दिया ताकि पीठ के गठन के संबंध में निर्णय लिया जा सके।

निष्प्रभावी हो चुका है राजद्रोह कानून

पिछले साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनते हुए आईपीसी की धारा 124A को अंतरिम तौर पर निष्प्रभावी बना दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस कानून के तहत नए मुकदमे दर्ज न हों और जो मुकदमे पहले से लंबित हैं, उनमें भी अदालती कार्रवाई रोक दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून की समीक्षा करने की अनुमति दी थी। साथ ही कहा था कि जब तक सरकार कानून की समीक्षा नहीं कर लेती, तब तक यह अंतरिम व्यवस्था लागू रहेगी।

तीन नए विधेयक पेश

इसके बाद, केंद्र सरकार ने इस साल 11 अगस्त को इन कानूनों को बदलने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए लोकसभा में तीन नए विधेयक पेश किए। इसमें राजद्रोह कानून को रद्द करने और अपराध की व्यापक परिभाषा के साथ नए प्रावधान लागू करने की बात की गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *