Saturday, December 28, 2024
उत्तराखंड

हाईकोर्ट के निर्देश- सांसदों-विधायकों पर कितने आपराधिक मुकदमे, दो सप्ताह में बताए राज्य सरकार

नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों और इनमें से विचाराधीन मुकदमों की जानकारी दो सप्ताह में तलब की है। कोर्ट ने पहले भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर संज्ञान लिया था, लेकिन अभी तक सरकार ने विधायकों और सांसदों के खिलाफ विचाराधीन केसों की सूची कोर्ट को उपलब्ध नहीं कराई है।

सांसदों-विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की त्वरित सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय से जारी दिशा-निर्देशों पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

मामले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों को निर्देश दिए थे कि उनके वहां सांसदों व विधायकों के खिलाफ जितने भी मुकदमे विचाराधीन हैं उनकी त्वरित सुनवाई कराएं। कहा गया था कि राज्य सरकार आईपीसी की धारा 321 का गलत उपयोग कर अपने सांसदों व विधायकों के मुकदमे वापस ले रही है। जैसे मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी साध्वी प्राची, संगीत सोम व सुरेश राणा का केस उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को यह भी निर्देश दिए हैं कि राज्य सरकारें बिना उच्च न्यायालय की अनुमति के इनके केस वापस नहीं ले सकती। कहा गया था कि इनके केसों की शीघ्र निस्तारण के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन किया जाए। इसी क्रम में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में सांसदों व विधायकों के खिलाफ कितने आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और कितने अभी विचाराधीन हैं, इनकी जानकारी दो सप्ताह में कोर्ट को दें।