‘थैला घर’ की अनूठी पहल के बाद देहरादून छावनी ने किया प्लास्टिक को रीसायकल कर प्रदूषण का समाधान
देहरादून: उत्तराखंड का देहरादून स्टेशन जोश के साथ प्लास्टिक से लड़ रहा है। 05 जून को दून सैनिक संस्थान में आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस समारोह देहरादून छावनी के प्लास्टिक को रीसायकल और पुन: उपयोग करने के एक साल के लंबे प्रयास की परिणति को चिह्नित करता है।
पिछले साल की शुरुआत में सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलीथिन पर प्रतिबंध लागू करते हुए, देहरादून छावनी ने बाजारों में ‘थैला घर’ की अनूठी अवधारणा की पहल की, जहां से दुकानदार बहुत मामूली कीमतों पर कपड़े के बैग उठा सकते हैं। ये कपड़े के थैले महिला सशक्तिकरण केंद्रों द्वारा तैयार किए जाते है जो कि फेंके गए कपड़ों, चादरों और साड़ियों से बनाए जाते हैं।
देहरादून छावनी में रहने वाले सैन्य समुदाय के प्रयासों को मान्यता देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में मेजर जनरल संजीव खत्री, वीएसएम, जीओसी, उत्तराखंड सब एरिया ने ‘बेस्ट कम्युनिटी किचन गार्डन’, ‘बेस्ट शॉपिंग कॉम्प्लेक्स’, ‘बेस्ट पार्क’ बेस्ट वॉकिंग प्लाजा’ और ‘सर्वश्रेष्ठ RWA’ के लिए पुरस्कार प्रदान किए।
छावनी में 28 खूबसूरत पार्क, पांच खूबसूरत रेजिमेंटल शॉपिंग कॉम्प्लेक्स हैं जो शून्य अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं, वर्षा जल संचयन परियोजनाओं और 12.6 किलोमीटर के खूबसूरत रास्तों के माध्यम से पोषित कई सामुदायिक रसोई उद्यान हैं। छावनी में एकत्रित पॉलिथीन को साफ कर, सुखाया जाता है और फेंकी हुई प्लास्टिक की बोतलों में भरकर ईको ईंटें बनाई जाती हैं। पेट बोतलों से बनी ईको ईंटें पारंपरिक निर्माण सामग्री का कम लागत वाला विकल्प और कचरे को कम करने का एक दिलचस्प तरीका बन गई हैं। छावनी के पार्कों में ईको ईंटों से बनी सुंदर तितलियाँ और बेंचें लगी हुई हैं।
देहरादून छावनी ने आजादी का अमृत महोत्सव स्वच्छता सर्वेक्षण 2020-21 के दौरान “नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाओं” के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। अक्टूबर 2022 में, लंढौर, जो देहरादून स्टेशन का हिस्सा है, को नागरिक भागीदारी के लिए सम्मानित किया गया। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021-22 में पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन में और राज्य के सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकायों में से एक होने के लिए मुख्यमंत्री उत्तराखंड से अटल निर्मल नगर पुरस्कार 2022 भी प्राप्त किया।
छावनी बायो डाइजेस्टर्स से लैस अपशिष्ट प्लास्टिक शीट से बने बायो शौचालयों का उपयोग करती है जो बैक्टीरिया की क्रिया द्वारा कचरे को पानी में परिवर्तित करते हैं। इन शौचालयों को बनाने के लिए उपयोग किए गए जलरोधक, जंग मुक्त, रोगाणुरोधी और खतरनाक यौगिकों से मुक्त हैं और फिर से उनके जीवन के अंत में पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है।
देहरादून स्टेशन में पिछले साल चालू हुए 2 मेगा वाट के सोलर प्लांट में 7200 फोटो वोल्टाइक प्लेट हैं और इसके परिणामस्वरूप वार्षिक बिजली शुल्क में 1.94 करोड़ की कमी आई है। इसके अलावा, स्टैंड अलोन, सोलर ट्री, सोलर स्ट्रीट लाइट और एलईडीकरण के संयोजन के माध्यम से स्टेशन ने 8,12,400 यूनिट बिजली की बचत और यूपीसीएल के बकाया में 45,49,440/- रुपये की कमी सुनिश्चित की है। मेजर जनरल संजीव खत्री ने एमईएस, इकाइयों और स्टेशन मुख्यालय के प्रयासों की सराहना की और संरक्षण के लिए की गई पहल की सराहना की।