Thursday, September 19, 2024
उत्तराखंड

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में बाघिन ने अपने पांच दिन के तीन शावकों को बनाया निवाला

देहरादून: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में रेस्क्यू की गई बाघिन जन्म देने के बाद पांचवें दिन में अपने तीनों शावकों को खा गई। शिकारियों के फंदे में फंसी यह बाघिन कैमरा ट्रैप में कैद हुई थी, जिसे बाद में ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर में लाया गया था। बाघिन के अपने ही शावकों का निवाला बनाने का यह पहला मामला नहीं है, लेकिन ऐसे मामले दुलर्भ ही होते हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। ढेला रेस्क्यू सेंटर में बाघिन ने तीन शावक को जन्म दिया था। बताया जा रहा है कि कमजोर होने के कारण दो शावकों की मौत हो गई थी, जिन्हें बाघिन खा गई। 19 जुलाई को विशेषज्ञ पैनल ने भी बाघिन और एक शावक को स्वस्थ पाया था। कॉर्बेट निदेशक डॉ. धीरज पांडे ने बताया कि दो दिन पहले ही बाघिन अपने तीसरे शावक को दूध भी पिला रही थी।

शावक और बाघिन की सीसीटीवी से वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी और उनकी टीम लगातार निगरानी कर रही थी। 22 जुलाई को शावक सीसीटीवी में नजर नहीं आया तो उसे बाड़े में खोजा गया, लेकिन शावक या उसका शव नहीं मिला। इससे प्रतीत होता है कि बाघिन ने पहले दो शावकों की तरह इस तीसरे शावक को भी निवाला बना लिया। बाघिन वर्तमान में सामान्य आहार ले रही है और पूर्ण रूप से स्वस्थ प्रतीत हो रही है। उसके व्यवहार की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। बाघिन के अपने ही शावकों को निवाला बनाने का यह पहला मामला नहीं है। ऐसी घटनाएं देश और विदेश में पहले भी रिपोर्ट की गई है। भारत में पिछले साल ही महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के खुर्सापार इलाके में एक बाघिन को अपने एक माह के शावक को खाते देखा गया था। येरुशलम बाइबिल चिड़ियाघर में भी बाघिन ने अपने पांच सप्ताह के दो शावकों को निवाला बना लिया था। बहरहाल, इस मामले में कॉर्बेट निर्देशक से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।

कॉर्बेट पार्क के ढेला रेस्क्यू सेंटर में बाघिन के तीन शावकों निवाला बना लेने को वन विभाग तनाव को बड़ा कारण मान रहा है। बताया जा रहा है कि बाघिन का स्वभाव काफी आक्रामक है। वनकर्मी उसके व्यवहार पर नजर बनाए हुए हैं। पशु चिकित्सक डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि जू या चिड़ियाघर में रहने वाले बाघ या बाघिन तनाव में रहते हैं। दरअसल, उनको जंगल का वातावरण नहीं मिलता। ऐसे में वे खुद को बंधा महसूस करते हैं और हमेशा तनाव में देखे गए। ढेला रेस्क्यू सेंटर में रखी गई बाघिन भी तनाव में है और इसी तनाव में वह अपने शावकों को खा गई। ऐसा व्यवहार बाघों में आम होता है।

यह बाघिन 22 मई को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज में रेस्क्यू की गई थी। उसके पेट में तार धंसा हुआ था, लेकिन बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है। पेट में घुसे तार को निकालने के लिए 19 जुलाई को एनटीसीए, डब्लूआईआई व पंतनगर विवि के पशु चिकित्सक की टीम ने जांच पड़ताल की। ढेला रेस्क्यू सेंटर में सीसीटीवी लगाए गए हैं। बाघिन के बदलते व्यवहार पर नजर रखी जा रही है। जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही बाघिन के पेट से धंसे तार को निकालने के लिए सर्जरी की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *