उत्तराखंड ने जारी की पहली एआई नीति, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की ओर बड़ा कदम
- शिक्षा से आपदा प्रबंधन तक—एआई से बदलेगा उत्तराखंड का भविष्य
देहरादून- उत्तराखंड सरकार ने राज्य की पहली एआई नीति का ड्राफ्ट जारी कर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। नीति का उद्देश्य पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और शासन को एआई आधारित सेवाओं से मजबूत करना है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने ड्राफ्ट पर जनता और विशेषज्ञों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। सरकार ने मिशन को लागू करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा क्षमता, एआई एप्लिकेशन डेवलपमेंट और क्लीन एनर्जी को मुख्य आधार बनाया है।
एआई मिशन के सात प्रमुख सिद्धांत
टेलीमेडिसिन, ई-लर्निंग सहित मौजूदा योजनाओं को एआई तकनीक से अपग्रेड कर सरकारी सेवाओं को अधिक सक्षम बनाया जाएगा।
दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों, बुजुर्गों और कमजोर समुदायों तक एआई की मदद से तेजी से सेवाएं पहुंचेंगी।
पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, जलवायु और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में एआई तकनीक को प्राथमिकता मिलेगी।
इंडिया एआई, हिमालयी राज्यों, निजी कंपनियों और शोध संस्थानों के साथ मिलकर संयुक्त समाधान विकसित किए जाएंगे।
युवाओं को एआई स्किलिंग, रोजगार और स्टार्टअप के अधिक अवसर देकर राज्य में ही करियर निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
एआई सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी, सुरक्षित और जवाबदेह होगा ताकि आम जनता का भरोसा कायम रहे।
हर विभाग के लिए एआई पायलट प्रोजेक्ट चलाने हेतु एक लीन एआई मिशन और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जाएगा।
2030 और 2047—दो बड़े लक्ष्य
2030 तक इंटरनेट पहुंच 78% से बढ़ाकर 100% और 2047 तक 130% करने का लक्ष्य।
स्मार्टफोन उपयोग 65% से बढ़ाकर 90% और डिजिटल साक्षरता 40% से बढ़ाकर 80% की जाएगी।
सभी ग्राम पंचायतों तक भारतनेट पहुंचाए जाने के साथ पहाड़ों में पीपीपी मॉडल से नेटवर्क का विस्तार होगा।
2030 तक कंप्यूट क्षमता 775 TFLOPS से बढ़ाकर 2047 तक 7500 TFLOPS और डेटा सेंटर क्षमता 5 से बढ़ाकर 45 MW की जाएगी।
गढ़वाली, कुमाऊंनी और हिमालयी पारिस्थितिकी से जुड़े स्थानीय डेटा सेट तैयार किए जाएंगे।
2030 तक तीन और 2047 तक सात एआई इनोवेशन सेंटर; 15 से बढ़ाकर 30 एआई इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
देहरादून और रुड़की में एआई लैब तथा IIT रुड़की में स्टार्टअप इंक्यूबेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी।
आपदा और जलवायु प्रबंधन में एआई का बड़ा असर
एआई की मदद से भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और ग्लेशियल लेक फटने जैसी घटनाओं की पहले से पहचान संभव होगी।
सैटेलाइट व ड्रोन से मिले डेटा का एआई तुरंत विश्लेषण कर राहत और बचाव कार्य तेज करेगा।
बाढ़ और भूकंप जैसे परिदृश्यों के वर्चुअल सिमुलेशन से अधिकारी बेहतर तैयारी कर सकेंगे।
पुलों, सड़कों और बांधों की एआई सेंसर से लगातार निगरानी कर समय रहते खराबी का पता लगेगा।
आपदा के दौरान एआई चैटबॉट बहुभाषीय अपडेट और जानकारी उपलब्ध कराएगा।
ग्लेशियर और मौसम में हो रहे बदलाव का एआई विश्लेषण करने से भविष्य की नीतियां अधिक प्रभावी बनेंगी।
वन्यजीव गतिविधियों की निगरानी कर मानव–वन्यजीव संघर्ष कम करने में भी एआई मददगार साबित होगा।

