#GharWapsi: “अपनी माटी की ओर लौटें कदम”—रिवर्स पलायन के लिए CM धामी का बड़ा मास्टरप्लान; अब राज्यभर में होंगी ‘प्रवासी पंचायतें’
मुख्यमंत्री ने दिए 25 नए स्थलों को ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ के रूप में विकसित करने के निर्देश। सुखद परिणाम: उत्तराखंड लौटे 6,282 प्रवासी; ग्रामीण आजीविका और लघु उद्योगों को मिल रहा सरकारी सब्सिडी का बड़ा सहारा।
देहरादून: उत्तराखंड के लिए दशकों से नासूर बनी पलायन की समस्या अब ‘रिवर्स पलायन’ के सुखद बदलाव में बदलती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में ‘ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग’ की 10वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए एक नई और भावनात्मक पहल—प्रवासी पंचायतों—के आयोजन के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री का यह विजन देश और विदेश में रह रहे उत्तराखंडियों को अपनी जड़ों से जोड़ने और उन्हें राज्य के विकास में भागीदार बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
प्रवासी पंचायतें: संवाद से समृद्धि का मार्ग
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्यभर में ऐसी पंचायतों का आयोजन किया जाए, जिनमें प्रवासियों को आमंत्रित कर उन्हें राज्य सरकार की पलायन रोको योजनाओं की जानकारी दी जाए।
“हमारे प्रवासी भाई-बहन हमारे ब्रांड एंबेसडर हैं। उनसे सुझाव लेकर और उन्हें राज्य की संभावनाओं से जोड़कर हम रिवर्स पलायन को एक जन-आंदोलन बनाएंगे।” — पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
वेडिंग डेस्टिनेशन और पर्यटन: स्वरोजगार का नया आधार
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता को आर्थिक शक्ति में बदलने के लिए त्रियुगीनारायण मंदिर की तर्ज पर राज्य में 25 नए वेडिंग डेस्टिनेशन विकसित करने का लक्ष्य रखा है।
- बुनियादी ढांचा: इन स्थलों पर सड़क, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का उच्च स्तर पर विकास किया जाएगा।
- लघु उद्योग: पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे उद्योगों (Micro Industries) को बढ़ावा देकर स्थानीय युवाओं को उनके घर के पास ही रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।
आंकड़े जो गवाही दे रहे हैं: लौट रहे हैं पहाड़ के सपूत
आयोग के उपाध्यक्ष डॉ॰ एस.एस. नेगी ने बैठक में उत्साहजनक आंकड़े प्रस्तुत किए:
- रिवर्स पलायन: अब तक कुल 6,282 व्यक्ति अपने गाँवों में वापस लौट चुके हैं।
- क्षेत्र: वापस लौटे लोग मुख्य रूप से पर्यटन, होमस्टे और लघु उद्योगों के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
सब्सिडी और सुशासन का मेल
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण आजीविका बढ़ाने के लिए सरकार केवल योजनाएं नहीं बना रही, बल्कि उन्हें धरातल पर उतारने के लिए भारी सब्सिडी भी प्रदान कर रही है। उन्होंने आयोग के सदस्यों को अन्य राज्यों के सफल मॉडलों का अध्ययन करने और उत्तराखंड की उपलब्धियों को बाहर साझा करने के निर्देश भी दिए।
बैठक में सचिव विनय शंकर पाण्डेय सहित शासन के तमाम वरिष्ठ अधिकारी और आयोग के सदस्य उपस्थित रहे, जिन्होंने राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अपने रचनात्मक सुझाव साझा किए।

