हिमाचल प्रदेश सरकार ने की पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए कवायद शुरु
हिमाचल प्रदेश: सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के लिए कवायद तेज कर दी है। सरकार ने मंगलवार को वित्त विभाग को पुरानी पेंशन बहाल करने के निर्णय को लागू करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया(एसओपी), नियम और शर्तें अधिसूचित करने के निर्देश दिए हैं। सरकार के फैसले केअनुसार प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। इस संबंध में मुख्य सचिव की ओर से सभी प्रशासनिक सचिवों को ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया गया है।
गौरतलब है कि प्रदेश में करीब 20 साल बाद पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल हुई है। प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार ने लोहड़ी पर पहली कैबिनेट बैठक में बहुप्रतीक्षित पुरानी पेंशन बहाल करने का फैसला लिया था। ओपीएस 2003 में बंद हुई थी। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले किया वादा निभाया। यह कांग्रेस के प्रतिज्ञा पत्र की पहली गारंटी थी। राज्य मंत्रिमंडल से पुरानी पेंशन बहाल होने के बाद अब प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की पेंशन के फार्मूले पर नजरें टिक गई हैं। ओपीएस कैसे मिलेगी और पेंशन की राशि कितनी होगी, इसको लेकर कर्मचारियों की ओर से तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
हालांकि, पुरानी पेंशन का फार्मूला कौन सा होगा, इसकी जानकारी अभी किसी को नहीं। कर्मचारी यूनियनों के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में 15 मई 2003 से पहले सेंट्रल सिविल सर्विस पेंशन रूल 1972 के तहत पेंशन दी जाती थी। इसके तहत सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन लिए गए वेतन का 50 फीसदी पेंशन राशि होती थी। इस नियम को ही दोबारा लागू करने के लिए हिमाचल सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी दी है। पुरानी पेंशन योजना में सेवाकाल के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर पहले दस वर्षों तक 50 फीसदी पेंशन ही परिजनों को मिलती है। इसके बाद पेंशन की राशि को 30 फीसदी दिया जाता है। पुरानी पेंशन लेने के लिए किसी भी कर्मचारी की दस वर्षों की नियमित सेवा होना भी अनिवार्य है।
प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए वर्ष 2015 से कर्मचारी आंदोलन छिड़ा और हिमाचल में चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद जिलों में चला क्रमिक अनशन बंद किया गया था। इस दौरान जिला और प्रदेश स्तर पर रैलियों का आयोजन भी किया गया। इसमें प्रदेश भर के कर्मचारी बराबर हिस्सा लेते रहे।