पलायन पर लगेगी लगाम! सीमांत पिथौरागढ़ में लोक कला ‘ऐपण’ से नारी शक्ति हो रही स्वावलंबी; 21 दिवसीय प्रशिक्षण से CM स्वरोजगार नीतियों को बल
मड़ खड़ायत और सिलौली में ‘उपलब्धि’ संस्था का सराहनीय कदम। जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों ने महिलाओं को विश्वकर्मा योजना, MSME और सब्सिडी की दी विस्तृत जानकारी; ऐपण को स्वरोजगार का जरिया बनाने पर जोर।
पिथौरागढ़ (मूनाकोट/विण): सीमांत जनपद पिथौरागढ़ की ग्राम सभाओं मड़ खड़ायत और सिलौली में, महिलाओं और ग्रामीणों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने और पलायन (Migration) पर प्रभावी रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है। उद्योग निदेशालय (उत्तराखंड शासन) के तत्वाधान में सामाजिक संस्था “उपलब्धि” द्वारा 21 दिवसीय उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया, जो 12 दिसंबर 2025 से 01 जनवरी 2026 तक चलेगा।
संस्कृति को बनाया गया ‘स्वरोजगार का हथियार’
प्रशिक्षण का मुख्य आकर्षण उत्तराखंड की प्राचीन लोक कला ‘ऐपण’ है, जिसे अब केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बनाया जा रहा है।
संस्था के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम समन्वयक श्री नरेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि ऐपण कुमाऊं क्षेत्र की एक समृद्ध कला है, जो समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। यह चावल के आटे और उंगलियों से स्वास्तिक, कमल, सूर्य, और लक्ष्मी पैर जैसे ज्यामितीय डिजाइनों पर आधारित होती है।
उन्होंने कहा, “हमारी संस्था का उद्देश्य इस सांस्कृतिक धरोहर को बाजार से जोड़कर सीमांत क्षेत्रों के युवाओं को प्रेरित करना और सरकारी योजनाओं से अधिकतम लाभ दिलाना है।”
सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का सीधा लाभ
प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला उद्योग केंद्र, पिथौरागढ़ की सक्रिय भागीदारी रही। सहायक प्रबन्धक श्री भगवती प्रसाद अवस्थी ने प्रतिभागियों को उद्यमिता विकास और जागरूकता पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से मुख्यमंत्री की फ्लैगशिप योजना मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, विश्वकर्मा योजना, MSME, और Startup India के तहत मिलने वाले बैंक ऋण, सब्सिडी, पात्रता शर्तों और आवेदन प्रक्रिया पर विस्तार से मार्गदर्शन किया।
श्री अवस्थी ने प्रशिक्षण सत्र के दौरान महिलाओं के प्रश्नों का समाधान किया, जिससे योजनाओं की विश्वसनीयता और पहुंच मजबूत हुई।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का संकल्प
श्री उपाध्याय ने ग्रामीण युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि स्थानीय उत्पाद, जैविक खेती, बकरी पालन, हस्तशिल्प और होमस्टे जैसे उद्यम आज प्रचलन में हैं और सरकार द्वारा इनमें प्रशिक्षण, ऋण और सब्सिडी की सुविधा भी दी जा रही है। ऐसे उद्यम स्थापित कर ग्रामीण युवा न केवल खुद स्वावलंबी बन सकते हैं, बल्कि अपने साथ-साथ अन्य युवाओं को भी रोजगार देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं।
कार्यक्रम में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि श्री दीपक सिंह खड़ायत (ग्राम प्रधान), श्री हेमराज सिंह खड़ायत (क्षेत्र पंचायत सदस्य), ऐपण प्रशिक्षक सुश्री मँजू भंडारी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

