Friday, December 27, 2024
अंतर्राष्ट्रीय

नेपाल के नए प्रधानमंत्री होंगे प्रचंड, ढाई साल के लिए संभालेंगे पद

काठमांडू: पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड नेपाल के अगले प्रधानमंत्री होंगे। वह आज प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रचंड के प्रधानमंत्री नियुक्ति की है। प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनेंगे। इससे पहले प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री और चीन के करीबी माने जाने वाले कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली समेत 5 अन्य गठबंधन पार्टियों के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनेंगे। पहली बार वे 2008 से 2009 और दूसरी बार 2016 से 2017 में प्रधानमंत्री बने थे। समझौते के तहत शुरुआती ढाई साल तक प्रचंड पीएम रहेंगे। इसके बाद सीपीएन-यूएमएल सत्ता संभालेगी। खास बात यह है कि ये दोनों ही नेता चीन समर्थक माने जाते हैं।

प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री और चीन के करीबी माने जाने वाले केपी शर्मा ओली समेत 5 अन्य गठबंधन पार्टियों के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया। प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री और चीन के करीबी माने जाने वाले केपी शर्मा ओली समेत 5 अन्य गठबंधन पार्टियों के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

इसके पहले, प्रचंड ने सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस को समर्थन देने से इनकार कर दिया। इस गठबंधन को भी छोड़ दिया। दो साल पहले प्रचंड ओली सरकार का हिस्सा थे। इसके बाद उन्होंने अपने 7 मंत्रियों से इस्तीफे दिलाए और ओली को कुर्सी छोडऩे पर मजबूर कर दिया। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने सभी पार्टियों से कहा था कि वो रविवार तक सरकार गठन पर आखिरी फैसला कर लें। पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की माओइस्ट सेंटर पार्टी ने पांच दूसरे दलों के साथ गठबंधन का ऐलान किया। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी शामिल हैं।


दरअसल, ये पूरा मामला सत्ता पाने की खींचतान से जुड़ा है। नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-माओवादी मिलकर सरकार तो बनाने के लिए तैयार थे, लेकिन बारी-बारी से प्रधानमंत्री का पद चाहते थे। प्रचंड की पार्टी चाहती है कि दोनों ही पार्टियां ढाई-ढाई साल के लिए सरकार चलाएं।

नेपाली कांग्रेस सीपीएन का रिकॉर्ड देखते हुए उस पर भरोसा करने को तैयार नहीं थी। लिहाजा, आशंका ये थी कि कहीं ढाई साल सत्ता में रहने के बाद सीपीएन कोई बहाना बनाकर समर्थन वापस न ले ले। यहीं आकर पेंच फंसा। इसके बाद प्रचंड ने ओली की तरफ हाथ बढ़ा दिया।

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