उत्तराखंड में बेसहारा, घायल गायों व गोवंशों के लिए देवदूत हैं शादाब अली
देहरादून: सूचना विभाग में कार्यरत सुरेश भट्ट जी द्वारा फोन पर सूचना मिलते ही भारतीय गौरक्षा वाहिनी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व उत्तराखंड प्रभारी शादाब अली दुर्घटना की शिकार हुई गाय का रेस्क्यू करने तुरंत मौके पर पहुँचे। उन्होंने अपनी टीम के साथ गाय का रेस्क्यू करने के साथ इलाज शुरू कर दिया।
युवा शादाब अली बने सहारा
बेसहारा गोवंश के शुभचिंतक अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ भारतीय गौ रक्षा वाहिनी के शादाब अली ने आज रिंग रोड सूचना भवन के सामने एक गाय व बछड़े की शिकायत मिलने पर तत्काल नगर निगम डॉक्टर तिवारी के सहयोग से गाय व बछड़े को सही स्थान पर ले जाने का काम किया गया जिसमें नगर निगम की टीम में सुमेंद्र, सूरज, राजेश, पिल्ला, भी मौजूद रहे। बेसहारा गायों व गोवंशों को सहारा देने के लिए उत्तराखंड में सरकार द्वारा पिछली सरकार 37 लाख 70 हजार रुपये खर्च कर गोशाला का निर्माण कराया था। गोशाला बनकर तैयार होने के बाद भी उसमें गायों को नहीं रखा जा रहा है, जिस वजह से गाय भूखे मर रही है। जिम्मेदार प्रशासन इन गायों का पेट नहीं भर पा रहा है। अब इन गायों का पेट भरन भरण को लेकर उत्तर प्रदेश उत्तराखंड अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के भारतीय रक्षा वाहिनी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवंम उत्तराखंड प्रभारी शादाब अली ने लगातार मांग की है
जिन गायों का पंचायत और प्रशासन नहीं भर पाया पेट उनके लिए युवा शादाब अली ने कई बार अपनी मनी पॉकेट से भी मरी हुई गायों को उठाकर सही स्थान पर भिजवाने का काम किया है वही आज जिस तरह से सूचना भवन तपोवन रोड से सूचना के माध्यम से शादाब अली को पता चला कि एक गाय दुर्घटना का शिकार हो गई है उसके साथ एक गाय का बछड़ा भी है जिसकी सूचना पाकर तत्काल नगर निगम डॉक्टर तिवारी जी की मदद से उनकी पूरी टीम को मौके पर पहुंचकर गाय व बछड़े को उठाकर सही स्थान पर ले जाने का काम किया गया है ऐसे ही समय-समय पर कई बार सरकारी सुविधाओं न मिलने पर होने वाली कई जगह पर छुटपुट घटनाओं से मायूस होकर भी शादाब को लौटना पड़ा है जिसके लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से लेकर उच्च अधिकारियों को भी लिखित में अवगत कराया जा चुका है लेकिन आज भी अल्पसंख्यक समाज से गौ सेवा करने वाले शादाब अली की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
हमेशा बेसहारा गायों व गोवंशों को सहारा देने के लिए उत्तराखंड में सरकार द्वारा 37 लाख 70 हजार रुपये खर्च कर गोशाला का निर्माण कराया था। गोशाला बनकर तैयार होने के बाद भी उसमें गायों को नहीं रखा जा रहा है, जिस वजह से गाय भूखे मर रही है। जिम्मेदार प्रशासन इन गायों का पेट नहीं भर पा रहा है। अब इन गायों का पेट भरने के लिए युवाओं ने बीड़ा उठाया है। युवाओं ने इसके लिए टीम बनाई है, यह टीम इंटरनेट मीडिया के माध्यम से गायों के लिए कई बार भूसा व ठंड में पुराल देने का काम भी किया है।
कुछ समय अच्छा सहयोग भी मिला
उल्लेखित है कि, सड़कों पर घुमने वाली बेसहारा गायों की देखभाल करने के लिए रुपये की लागत से गोशाला का निर्माण कराया गया था। एक साल पहले यह गोशाला बनकर तैयार हो गई है, लेकिन अभी तक के हैंडऑवर नहीं की है। जिस वजह से पिछले एक साल से गोशाला पर ताला लटका हुआ है। हालांकि प्रशासन गौशाला संचालन करने की जिम्मेदारी स्व-सहायता समूह को सौंपने की बात कह रहा था, लेकिन अभी तक गोशाला की जिम्मेदारी न तो समूह को दी गई और नहीं भारतीय रक्षा वाहिनी के किसी भी एक सदस्य को। इस वजह से गौशाला का संचालन नहीं हो पा रहा है। भूख मरने के कारण मवेशी खेतों में चरकर किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे गाय, गौवंशों का पेट भरने के लिए युवा शादाब ने अच्छी पहल की है। युवाओं की टीम गायों को गोशाला में रखकर उनके लिए चारे-पानी की व्यवस्था कर रही है। इसके लिए कर रहे हैं। कई बार उत्तर प्रदेश में ग्रामीण भी युवाओं की इस पहल की सरहाना करते हुए नगदी चंदा व भूसा दे रहे हैं।