मुख्यमंत्री धामी के बड़े फैसलों में याद रखी जाएगी राजस्व पुलिस की विदाई, आखिर राजस्व पुलिस के अंत पर लगी अंतिम मुहर
देहरादून: उत्तराखंड में जिस राजस्व पुलिस को समाप्त करने के लिए राज्य बनने के बाद से ही आवाज उठ रही थी, उसके ताबूत में अंतिम कील अंकिता भंडारी प्रकरण के बाद ठोक दी गई है। अंकिता हत्याकांड मैं जिस प्रकार से राजस्व पुलिस ने आरोपियों के साथ अपने गठबंधन का प्रदर्शन किया उसके बाद पूरे प्रदेश में राजस्व पुलिस को तत्काल भंग करने एवं रेगुलर पुलिस की तैनाती करने की मांग उठने लगी। विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी राजस्व पुलिस को उत्तराखंड से समाप्त करने के प्रबल पक्षधर दिखे और उनके इन प्रयासों को आखिर आज शासकीय रूप भी दे दिया गया।
उत्तराखंड में राजस्व पुलिस के समाप्त होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य कैबिनेट की बैठक में गढ़वाल एवं कुमाऊं के कुछ राजस्व क्षेत्रों में नए थाने चौकी खुलने की घोषणा मुख्यमंत्री कर चुके हैं। चौकी थाने खुलने के स्वता ही राजस्व पुलिस का वजूद समाप्त हो जाएगा। इसे राजस्व पुलिस के समापन का प्रथम चरण माना गया है और जल्द ही प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी इस व्यवस्था को समाप्त करने के लिए सरकार तेजी से कार्य कर रही है।
जब भी राजस्व पुलिस के अंत होने की कहानी सुनी और सुनाई जाएगी उस वक्त अंकिता हत्याकांड भी जरूर चर्चाओं में आएगा। अंकिता हत्याकांड के लिए पटवारी के काम करने की कार्यशैली को भी जिम्मेदार माना गया है और कहीं ना कहीं अगर इस मामले में त्वरित कार्रवाई राज्यों से पुलिस की ओर से की जाती तो शायद परिस्थितियां कुछ और होती। अंकिता के बलिदान के बाद राजस्व पुलिस की विदाई लगभग सुनिश्चित होने लगी थी जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए इसके विदाई की हरी झंडी दिखा दी।