कोटद्वार में हुई मूसलाधार बारिश ने मचाई तबाही, सैकड़ों घरों में घुसा मलबा
शहर के बीचोंबीच से गुजर रहा करीब तीन किमी पनियाली गदेरा अतिक्रमण के कारण वर्ष 2017 से आपदा का सबब बना हुआ है। हर साल यह गदेरा शहर की आधी से अधिक आबादी को प्रभावित करता रहा, लेकिन शासन प्रशासन की ओर से इसके अतिक्रमण को हटाने की कवायद फाइलों से बाहर नहीं चल सकी। नतीजा यह है कि इस साल भी गदेरे ने लोगों को पूरी रात दहशत में रखा। स्थानीय लोगों का मानना है कि पुलिस तंत्र के अलर्ट रहने और लोगों की जागरूकता से ही जनहानि से बचा जा सका है।
समूचा कोटद्वार भाबर क्षेत्र में बीते 13 जुलाई की भारी बारिश से ही आपदा की चपेट में हैं। मालन पुल ढहने के बाद से बड़ी आबादी कण्वाश्रम मवाकोट के जंगल से बने एक संपर्क मार्ग से आवाजाही कर रही है। भारी वाहनों के संचालन के लिए मालन नदी में बनाया गया ह्यूम पाइप कॉजवे भी क्षतिग्रस्त हो गया है। मंगलवार दिन में शुरू हुई मूसलाधार बारिश से नदियों के तट पर स्थित लोग बाढ़ के प्रति सचेत रहे। रात को आठ बजे के बाद जैसे ही पनियाली समेत नदी नाले उफनाने लगे। पुलिस तंत्र हरकत में आ गया।
एएसपी शेखर चंद्र सुयाल ने बताया कि पुलिस के सभी अफसर और जवान नदियों के तटीय इलाके में निगरानी बनाए रहे। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा जाता रहा। कई इलाकों में जबरन घर भी खाली कराए गए। जिससे उफनाई नदियों ने नुकसान तो पहुंचाया, लेकिन जनहानि होने से बच गई। हालांकि मंगलवार की पूरी रात लोगों ने दहशत में गुजारी।