Friday, December 27, 2024
उत्तराखंडराष्ट्रीय

केदारनाथ आपदा के 10 वर्षों होने पर सर्वे, एसडीसी फाउंडेशन और जेएनयू के छात्र एक महीने में पूरा करेंगे सर्वे

देहरादून:- केदारनाथ आपदा के 10 वर्ष बीत चुके हैं। इन 10 वर्षों में आपदा से पीड़ित लोगों ने किन-किन कठिनाइयों का सामना किया, उनके जीवन में इस दौरान क्या बदलाव आये, उनकी आजीविका पर आपदा का क्या असर पड़ा और इस दौरान क्या लोग इतने जागरूक हुए हैं कि ऐसी किसी आपदा का सामना कर सकते हैं? इन तमाम मुद्दों पर अगले एक महीने के दौरान एक सर्वे किया जा रहा है। देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन और जेएनयू के सेंटर फॉर डिजास्टर रिसर्च के छात्र संयुक्त रूप से यह सर्वे करेंगे। इस दौरान जेएनयू के छात्र प्रभावित इलाकों और सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले गांवों में जाकर प्रभावितों से बातचीत कर रिपोर्ट तैयार करेंगे।

सर्वे के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत करने के लिए एसडीसी फाउंडेशन के कार्यालय में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस संवाद कार्यक्रम में वाडिया हिमालयन भूगर्भ संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. पीएस बिष्ट, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के उत्तराखंड स्टेट हेड प्रदीप मेहता, गढ़वाल विश्वविद्यालय के फॉरेस्ट्री विभाग के डॉ. लक्ष्मण कंडारी, स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल और जेएनयू के छात्र रोशन ने हिस्सा लिया। संवाद कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रस्तावित सर्वे के स्वरूप को लेकर चर्चा की गई और सर्वे में आपदा संबंधित किन-किन पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए, इस बात पर चर्चा की गई। संवाद के अलावा स्वास्थ्य विभाग मे कार्यरत डॉ मयंक बडोला ने फ़ोन के माध्यम से केदारनाथ सर्वे मे जन स्वास्थ्य के मुद्दे पर कई अहम सुझाव दिए।

कार्यक्रम में तय किया गया कि सर्वे को पांच हिस्सों में बांटा जाए। पहले हिस्से में आपदा प्रभावितों से उनके निजी जीवन के बारे में सवाल पूछे जाएंगे। इनमें उनकी उम्र, परिवार, आपदा में हुए नुकसान, मौजूदा आर्थिक स्थिति, आवासीय घर आदि के बारे में जानकारी ली जाएगी। दूसरे हिस्से में केदारनाथ आपदा के बाद आपदा को लेकर लोग कितने जागरूक हुए हैं, इस बारे में सवाल होंगे। इसमें आपदा के प्रकार की जानकारी, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से समय-समय पर मिलने वाली वार्निंग के बारे में जानकारी, आपदा के कारणों की जानकारी आदि के बारे में सवाल पूछे जाएंगे।

तीसरे हिस्से में आपदा के लोगों के स्वास्थ्य और खास तौर पर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के बारे में पीड़ितों से जानकारी ली जाएगी। चौथे हिस्से में पीड़ितों से यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि आपदा के बाद सरकार ने क्या किया और क्या सरकार के प्रयासों से उन्हें मदद मिली। पांचवें हिस्से में जीवन यापन संबंधी पहलुओं पर लोगों से बातचीत की जाएगी। इसमें आपदा से पहले और आपदा के बाद की स्थितियों के बारे में जानकारी ली जाएगी। लोगों से पर्यावरण के मुद्दों पर भी बातचीत की जाएगी।

इस दौरान वाडिया के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी ने 2013 की केदारनाथ आपदा का पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन भी दिया। उन्होंने आपदा की विभीषिका को चिन्हित करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में केदारनाथ में जो सेफ्टी दीवार बनाई जा रही है 2013 जैसी आपदा के स्थिति में वह किसी काम नहीं आने वाली है। उनका कहना था कि आपदा से पहले मंदाकिनी नदी केदारनाथ मंदिर से करीब 70 फुट नीचे थी, जो मलबे से कुछ ही सेकेंड मे पट गई थी, ऐसे में 10 फुट की सेफ्टी दीवार को सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था नहीं कहा जा सकता।

एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने बताया कि यह बातचीत बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई। आपदा से जुड़े अपने-अपने क्षेत्र के जानकारों ने सर्वे को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिये, जो काफी मददगार साबित होने वाले हैं। उन्होंने कहा की सर्वे और रिपोर्ट की प्रक्रिया पूरी होने पर उसे निति नियंताओं, शोधकर्ताओं और समाज के अलग अलग वर्गों के साथ साझा किया जायेगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *