Friday, December 27, 2024
राष्ट्रीय

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एनआईएसए के शताब्दी समारोह में कृषि चुनौतियों पर की चर्चा

रांची- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (20 सितंबर, 2024) झारखंड के रांची में आईसीएआर-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (एनआईएसए) के शताब्दी समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में खेती को लाभप्रद बनाने के साथ-साथ तीन बड़ी चुनौतियां सामने हैं – खाद्य एवं पोषण सुरक्षा बनाए रखना, संसाधनों का सतत उपयोग करना और जलवायु परिवर्तन से निपटना।

राष्ट्रपति ने कहा कि इन चुनौतियों का समाधान द्वितीयक कृषि से संभव है। इसमें प्राथमिक कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन और कृषि पर्यटन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन गतिविधियों से कृषि अपशिष्ट का सही उपयोग कर मूल्यवान वस्तुएं बनाई जा सकती हैं, जिससे पर्यावरण की रक्षा होगी और किसानों की आय बढ़ेगी।

लाख उत्पादन में अनुसंधान और विकास
राष्ट्रपति मुर्मु ने भारत में लाख उत्पादन की अहमियत पर चर्चा की, जो मुख्य रूप से जनजातीय समुदायों द्वारा किया जाता है। उन्होंने एनआईएसए के लाख, प्राकृतिक रेजिन और गोंद के अनुसंधान व वाणिज्यिक विकास में उठाए गए कदमों की सराहना की। इसमें एक छोटी लाख प्रसंस्करण इकाई और एक एकीकृत लाख प्रसंस्करण इकाई का विकास, लाख आधारित प्राकृतिक पेंट, वार्निश और कॉस्मेटिक उत्पादों का निर्माण, और फलों-सब्जियों की शेल्फ-लाइफ बढ़ाने के लिए लाख आधारित कोटिंग का विकास शामिल है।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि ये सभी प्रयास जनजातीय समुदायों के जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेंगे।

विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का युग
राष्ट्रपति ने कहा कि आज का युग विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का है। हमें इन प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाते हुए उनके दुष्प्रभावों से भी बचना होगा। उन्होंने एनआईएसए में ऑटोमेशन और प्लांट इंजीनियरिंग डिवीजन की स्थापना पर खुशी जाहिर की, जो रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस उपकरणों के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।

लाख की गुणवत्ता और आपूर्ति में सुधार की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि लाख की खेती में एनआईएसए ने सराहनीय काम किया है, लेकिन फार्मास्यूटिकल्स और कॉस्मेटिक्स उद्योगों में उच्च गुणवत्ता वाली लाख की मांग पूरी करने के लिए अभी और प्रगति की जा सकती है। अगर भारतीय लाख की गुणवत्ता, आपूर्ति श्रृंखला और विपणन में सुधार किया जाए, तो हमारे किसान देश-विदेश में इसका निर्यात कर सकते हैं और उन्हें बेहतर मूल्य मिल सकेगा।