शहीद महावीर सिंह को दी श्रद्धांजलि और हरपाल राणा के नेतृत्व में शहीद परिवारों ने रखी मांग
दिल्ली से पहुंचे शहीद सम्मान अभियान के संयोजक चौधरी हरपाल सिंह राणा के द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया
दिल्ली: महान क्रांतिकारी महावीर सिंह के बलिदान दिवस के अवसर पर सेल्यूलर जेल (काला पानी) के स्थित लगी उनकी प्रतिमा को श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि सभा का आयोजन दिल्ली से आए शहीद सम्मान अभियान के संयोजक चौधरी हरपाल सिंह राणा के द्वारा किया गया। जिसमे देश के कई शहीद परिवारों के व्यक्तियों ने भी ऑनलाइन भाग लिया। जिसमें शहीद महावीर सिंह और शहीद सुखदेव के पोते भी शामिल रहे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सेल्यूलर जेल में चलने वाले लाइट और साउंड शो जो शहीदों की कुर्बानियों को सुनाने कार्यक्रम है, में तीन सौ रुपए का लिए जाने वाले शुल्क को हटाया जाए।
महावीर सिंह की 68 नंबर की कोठड़ी को आरक्षित किया जाए और उनकी समाधि जो जेल के कोने पर बनी हुई थी उसे भी संरक्षित किया जाए। कहा कि शहीदों की कुर्बानी निशुल्क सुनाई जानी चाहिए, शहीदों की कुर्बानी को बेचा शहीदों की कुर्बानी का अपमान है। बता दें कि 17 मई 1933 को सेल्यूलर जेल में अंग्रेजों के अत्याचार के कारण शहीद महावीर सिंह शहीद हुए थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में 17 मई की तिथि और शहीद महावीर सिंह का नाम स्वर्णिम अक्षरों से अंकित है। जिन्होंने देश की अलग-अलग जेलो में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ अनशन किया और सेल्यूलर जेल में किए गए अनशन में अंग्रेजो के द्वारा षड्यंत्र के तहत जबरदस्ती दूध पिलाने के कारण से उनकी शहादत हुई। इस अवसर पर अंजुमन रॉय ने कहा कि जिन महान क्रांतिकारियों की प्रतिमा सेल्यूलर जेल के बाहर लगाई गई है। इन सभी का बलिदान सेल्यूलर जेल में हुआ है। इसलिए सेल्यूलर जेल और अंडमान प्रशासन के द्वारा प्रतिवर्ष इनका जन्म दिवस व बलिदान दिवस मनाया जाना चाहिए। वही आरपी यादव का कहना है कि हम मिलकर इन सभी बलिदानों के बलिदान दिवस मनाना आरंभ करेंगे।
तो राजेश्वर राव ने बताया उनके चाचा और दादा का भी बलिदान पोर्ट ब्लेयर अंडमान में हुआ था, जिनका चित्र सिल्वर जेल में लगा हुआ है। कृष्णन गणेशन पूर्व पार्षद और वरिष्ठ पत्रकार अंडमान एक्सप्रेस ने बताया कि सेलुलर जेल और अन्य स्थानों पर शहीदों की कुर्बानी सुनाने के लिए टिकट का शुल्क अत्याधिक बढ़ा दिया गया है, वह हटना चाहिए। यही आजादी के अमृत महोउत्सव पर शहीदों को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर शिवा चंद्रन, महेश नारायण, सुखदेव सिंह आदि ने भी इस शुल्क को हटाने का समर्थन किया और शहीदों की प्रतिमा पर प्रतिवर्ष कार्यक्रम करने में सहयोग देने का आश्वासन दिया।